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22 को फाइनल वोटर लिस्ट, जानिए यूपी पंचायत चुनाव का ताजा अपडेट

 22 को फाइनल वोटर लिस्ट, जानिए यूपी पंचायत चुनाव का ताजा अपडेट

उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav) का इंतजार सभी को है. खासकर संभावित उम्मीदवार आरक्षण सूची को लेकर बेचैन हैं. उम्मीद है कि आरक्षण सूची आज जारी की जा सकती है. खबरों की मानें तो ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव के लिए चक्रानुक्रम आरक्षण लागू करने का काम किया जा सकता है. वहीं बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख के निर्वाचन क्षेत्रों में आरक्षण में बदलाव होने की उम्मीद है.

आपको बता दें कि साल 2015 में हुए सूबे के त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार प्रदेश में ग्राम प्रधानों के 880 पद कम हो चुके हैं. उत्तर प्रदेश में विकास खण्डों की संख्या 821 थी जो अब बढ़कर 826 हो चुकी है. यानी क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानि ब्लाक प्रमुख के पदों में 5 पदों की बढ़ोतरी हो चुकी है.

साल 2015 में हुए पंचायत चुनाव पर नजर डालें तो प्रदेश में कुल 59074 ग्राम प्रधानों के पद पर चुनाव संपन्न कराये गये थे. लेकिन इस बार हुए संक्षिप्त परिसीमन में 880 ग्राम पंचायतें शहरी क्षेत्र में शामिल किये गये हैं. यही वजह है कि अब प्रदेश में होने जा रहे पंचायत चुनाव में कुल 58194 ग्राम प्रधानों के पद पर ही चुनाव संपन्न कराये जाएंगे. ग्राम पंचायतों की संख्या कम होने के साथ ही ग्राम पंचायतों के वार्ड भी कम हो चुके हैं.

2015 के पंचायत चुनाव की बात करें तो इस साल प्रदेश में कुल 744558 ग्राम पंचायत सदस्यों के पद पर चुनाव कराये गये थे. इस बार यानी 2021 में होने वाले पंचायत चुनाव में 731813 ग्राम पंचायत सदस्यों के पद पर ही चुनाव कराये जाएंगे. उपरोक्त आंकड़े प्रदेश में होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों के तहत पंचायतीराज निदेशालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपने का काम किया है.

UP Panchayat Chunav : 15 फरवरी तक अधिसूचना, जानें कब हो सकते हैं पंचायत चुनाव

आरक्षण सूची का इंतजार क्यों : आपको बता दें कि इस बार उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव के पहले लोग आरक्षण सूची का इंतजार कर रहे हैं. इसकी वजह हम आपको बताते हैं. दरअसल इसी के आधार पर तय होगा कि किस जाति का उम्मीदवार किस गांव में अपनी दावेदारी करने का काम काम करेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि क्योंकि गांव यदि आरक्षण के दायरे में आता है तो सामान्य जाति के लोग वहां से चुनाव लड़ने में सक्षम नहीं होंगे. यदि गांव महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया तो वहां से कोई पुरुष पर्चा नहीं भर सकेगा.

लखनऊ
उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav) को लेकर इंतजार की घड़ियां लगभग खत्म होने को हैं। बीते दो-तीन दिनों से नई आरक्षण सूची के जारी होने के कयास लगाए जा रहे हैं, उम्मीद है कि बुधवार शाम तक पंचायत चुनाव की नई आरक्षण सूची जारी की जा सकती है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस आरक्षण सूची में ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव के लिए चक्रानुक्रम आरक्षण लागू किया जा सकता है। इसके अलावा बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के निर्वाचन क्षेत्रों में आरक्षण में बड़ा बदलाव होने की उम्मीद है।
मंत्री ने दी मंजूरी, आरक्षण से जुड़ा शासनादेश जल्द
पंचायती राज मंत्री चौधरी भूपेन्द्र सिंह की मंजूरी के बाद पंचायती राज विभाग की ओर से आरक्षण को लेकर शासनादेश जारी होना है। मंत्री पहले ही संकेत दे चुके हैं कि इस बार क्षेत्र और जिला पंचायत की सीटों आरक्षण शून्य कर के नए सिरे से चक्रानुक्रम आरक्षण तय किया जा सकता है। इसी क्रम में परिसीमन से प्रभावित हुई ग्राम पंचायतों में भी नए सिरे से चक्रानुक्रम आरक्षण तय किए जाने की बात कही जा रही है। उनका तर्क है कि पिछल पांच चुनावों से क्षेत्र और जिला पंचायत चुनाव में चक्रानुक्रम आरक्षण चलता आ रहा है। इसलिए अब नए सिरे से आरक्षण तय किए जाने की जरूरत है।
2015 के मुकाबले कम हुए ग्राम प्रधानों के पद
दरअसल साल 2015 के पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार प्रदेश में ग्राम प्रधानों के 880 पद कम हो चुके हैं। 2015 में राज्य में विकास खंडों की संख्या 821 थी जो बढ़कर 826 हो चुकी है, यानी ब्लॉक प्रमुख के पदों में 5 पदों की बढ़ोतरी हुई है। साल 2015 में 59,074 ग्राम प्रधानों के पद पर चुनाव कराए गए थे, लेकिन इस बार हुए संक्षिप्त परिसीमन में 880 ग्राम पंचायतें शहरी क्षेत्र में शामिल हो गई हैं। ऐसे में इस साल होने जा रहे पंचायत चुनाव में कुल 58194 ग्राम प्रधानों के पद पर ही चुनाव होंगे।
HC ने ग्राम प्रधानों के अधिकार ‘छीनने’ पर सरकार से मांगा जवाब
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में आगामी ग्राम पंचायत चुनावों के मद्देनजर ग्राम प्रधानों के अधिकार छीनने और ग्राम पंचायतें चलाने के लिए प्रशासकों की नियुक्ति को लेकर जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका पर प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है। बुलंदशहर जिले में ग्राम प्रधान कृष्ण पाल और एक अन्य ग्राम प्रधान की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने यह आदेश पारित किया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता महेश शर्मा ने अदालत को बताया कि 24 दिसंबर, 2020 को जारी अधिसूचना के जरिए सभी ग्राम प्रधानों के अधिकार छीन लिए गए और संबंधित जिले के सहायक विकास अधिकारी को प्रशासक के तौर पर नियुक्त कर दिया गया। 

कानपुर. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में होने वाले पंचायत चुनावों (Panchayat Election) को लेकर तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है. ऐसे में यूपी के 75 जिलों में परिसीमन के बाद साल 2015 की तुलना में पांच सालों में पंचायतों का दायरा सिमट गया है. जिसके चलते जिला पंचायतों के 3120 वार्ड अब घटकर 3051 रह गए हैं. 880 ग्राम पंचायत शहरी क्षेत्र में मिल गयी हैं.
ऐसे में यूपी के कानपुर जिले में भी पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज हो गयी हैं. बताया जा रहा है कि दिल्ली और प्रयागराज से मतपत्र भी मंगवा लिए गए हैं. जिसमें कुल 50 लाख मतपत्र हैं. कड़ी सुरक्षा में रखे मतपत्र में हरा रंग प्रधान के लिए, नीला रंग बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य के लिए गुलाबी और ग्राम पंचायत सदस्य के लुए सफेद रंग का मतपत्र रखा गया गया है.
एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में हुए पंचायत चुनाव में प्रदेश में कुल 59074 ग्राम प्रधानों के पद पर चुनाव हुए थे मगर इस बार हुए संक्षिप्त परिसीमन में 880 ग्राम पंचायतें शहरी क्षेत्र में शामिल कर लिये जाने की वजह से अब इस दफा प्रदेश में होने जा रहे पंचायत चुनाव में कुल 58194 ग्राम प्रधानों के पद पर ही चुनाव होंगे. ग्राम पंचायतों की संख्या कम होने के साथ ही ग्राम पंचायतों के वार्ड भी कम हो गये हैं. 2015 के पंचायत चुनाव में प्रदेश में कुल 744558 ग्राम पंचायत सदस्यों के पद पर चुनाव हुए थे जबकि इस बार 731813 ग्राम पंचायत सदस्यों के पद पर ही चुनाव होंगे.
पंचायतीराज निदेशालय ने सौंपा आंकड़ा
यह सारे आंकड़े उस रिपोर्ट के हैं जो प्रदेश में होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों के तहत पंचायतीराज निदेशालय ने सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपे. बता दें कि प्रदेश के 71 जिलों में इस बार संक्षित परिसीमन हुआ जबकि गोण्डा, सम्भल, मुरादाबाद, गौतमबुद्धनगर में पूर्ण परिसीमन करवाया गया क्योंकि 2015 के पंचायत चुनाव में कानूनी अड़चनों की वजह से इन चार जिलों में परिसीमन नहीं करवाया जा सका था

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