मनक़बत दरे शाने
हुुजुर सययद मीर मोहम्मद अब्दुल वाहिद बिलग्रामी
बिलग्राम शरीफ हरदोई उत्तर प्रदेश
हम्दे बारी ताआला
इमाम अहमद रजा खां
वही रब है जिसने तुझको हमतन करम बनाया
हमे भीख मांगने तेरा रास्ता बताया
वो कुंवारी पाक मरियम बन सक्त पीह का दम
हे अजब निशाने आजम मगर आमना का जाया
नात शरीफ
सैफ रजा कानपुरी
सर पे नाअलेन आपके होतो
और तैबा में हम खड़े होतो
जिनमें खुश्बू बसी है आका की
वो दरो वार चूमते होतो
करते खिदमत सदा में तैबा की
हम भी तकदीर के बड़े होते
मौत आ जाती उनकी चौखट पर
मुझपे जन्नत में तफसिरे होतो
हश्र तक हमको जिन्दगी मिलती
हश्र तक उनपे वारते होते
दफन होता में उनके रस्ते में
काश वो पांव रख दिये होतो
फिर तो महशर में मेरे सीने पर
नक्श पा आपके बने होतो
सख्तिये हश्र का करूं शिकवा
वो भी सरकार आपके होते
प्यास से में तड़प रहा होता
आप कौसर पिला रहेे होते
पुल पे में होता और आप उधर
रब्बे सल्लिम पुकारते होतो
हम भी होतो लिवा के साये में
लव पे नगमे दुरूद के होतो
आप तशरीफ रखते मीजां पर
फिर गुलामों के फैसले होतो
काश दौरे हुसैन मिल जाता
साथ में करबला गये होतो
हुरमला भी वहीं पे मर जाता
खुलके असगर अगर हंसे होतो
फिर यू जावेद खुल्द में जाता
सर पे नाअलेन आपके होतो
मनक़बत
मोअज्ज्म रजा साहब
यूं ही नही करती है दुनिया चर्चा ताहिरे मिल्लत का ।
अब्दे वाहिद से मिलता है रिश्ता ताहिरे मिल्लत का ।।
हुस्ने नजर से जो भी देखे बस वो देखता रह जाए।
नूरानी पुरकैफ है ऐसा चेहरा ताहिरे मिल्लत का।।
गौस ए आजम के सदके में कितने ये मकबूल हुए।
पूरे भारत में बजता है ये ढका ताहिरे मिल्लत का।।
गुलफाम वाहिदी
करता रहूं हर वक्त जहां में चर्चा अब्दे वाहिद का।
मेरे मौला सब को बना दे शैदा अब्दे वाहिद का।।
आला हजरत खुद को भिखारी कहते थे इनके दर का।
जब से मिला है मेरे रजा को सदका अब्दे वाहिद का।।
तुफैल शम्सी गाजीपुरी
तेरे नाम का वजीफा सरे शाम चल रहा है।।
तेरे नक्श पा पे तेरा यह गुलाम चल रहा है।।
हम कैसे भूल जाये सुल्ताने करबला को ।
शब्बीर के बदौलत इस्लाम चल रहा है।।
तेरे दर में गदा हूं तेरा रहे सलामत ।
मुझे भीख मिल रही है मेरा काम चल रहा है।।
जिसे हो पीना हो वो आये मय मअरेफत शरीअत
अभी मैकदा खुला है अभी जाम चल रहा है।
ये तुफैल खान शम्सी नही करता जी हुजुरी।
है रसूल मेहरबां है मेरा काम चल रहा है।।
फरहान रजा बरकाती देहलवी
हर घड़ी रखते है अपने दिल के अन्दर वाहिदी।
मुस्तफा का इश्क और अल्लाह का डर वाहिदी।।
गर्दिशे दौरां मेरे घर की तरफ आना नही।
जान ले इतना कि अब है मेरा घर घर वाहिदी।।
बिलग्राम आकर अली के लाडले के उर्स में ।
देखते हैं खुल्द का हर वक्त मन्जर वाहिदी।।
कामयाबी सिर्फ दुनिया तक नही महदूद है।
हश्र में पायेगें जन्नत और कौसर वाहिदी।।
कहिए तो कुरआन सर पर में रखके येे मिशरा पढ़ूं।
अपने दिल में रखते इश्के 72 वाहिदी ।।
सय्यदी ताहिर मियां ने कर लिया जिनकोे मुरीद।
उनके दिल को कर दिया ताहिर व ताहर वाहिदी।।
साहिबे सज्जादा हैं जो सय्यदी हजरत सुहैल ।
नजदियों को चुभ रहें हैं बनके खन्जर वाहिदी।।
सय्यदी रिजवाने मिल्लत हजरते सय्यद सईद ।
ले चलेगें खुल्द में मुझको बनाकर वाहिदी।।
गौस के प्यारे जनाब मीर तय्यब के तुफैल।
बनके रहते हैं मुकददर का सिकन्दर वाहिदी।।
तस्लीम रजा वाहिदी
सरकार वाहिदी सरकार वाहिदी सरकार वाहिदी सरकार वाहिदी
इक बार नही कहना सौ बार वाहिदी सरकार वाहिदी सरकार वाहिदी
मगता तुम्हारे दर आया बहुत पुराना कर दो करम खुदारा मर जायेगा दिवाना।
मुश्किल को मेरी आशां कर दो वाहिदी सरकार वाहिदी सरकार वाहिदी ।।
मुश्किल हुई हैं आशां जिसने भी दिल लगाया उसने भी दो जहां की है नेअमतों को पाया ।
सर पे तनी है हश्र में चादर ये वाहिदी सरकार वाहिदी सरकार वाहिदी ।।
चेहरा तुम्हारा ऐसा जैसे है चांद हो तारे ताहिर मियां तुम्हारे हम लोग हैं दिवाने।
दिल में मेरे बसी है सूरत ये वाहिदी सरकार वाहिदी सरकार वाहिदी ।।
अजीम अनवर
चरागे इश्क जल रहे हैं वाहिदी के नाम सेे
गुलाम सब मचल रहे हैं वाहिदी के नाम से
खुशी में सब उछल रहे हैं वाहिदी के नाम से
जलने वाले जल रहेे हैं वाहिदी के नाम से
फकत में एक ही नही कि जिसपे इनका है करम
करोड़ो लोग पल रहे हैं वाहिदी के नाम से
निकल रहे हैं वाहिदी का नाम लेके हर जगह
तो हाथ से भी टल रहे है वाहिदी के नाम से
अजीम तुम तो कुछ नही तुम्हारी क्या विसात है
तुम तो आज चल रहे हो वाहिदी के नाम से
अनस रजा
हुब्बे सरकार से रौशन मेरा सीना करदे
दिल को काअबा और कलेजे को मदीना कर दे
साजिद रजा शमीमी सुल्तानपुरी
दरबारे बिलग्राम से बो रौशनी मिली
दुनिया का रंज दूर हुआ और खुशी मिली
अल्लाह का करम है अता गौस पाक की
निस्वत हमे मिली भी वो वाहिदी मिली
ढूंढा है जब भी ताहिरे मिल्लत की जात को
हर वाहिदी के कल्ब में जल्वागरी मिली
चेहरे में उनके जज्ब था नूरे खुदा का नूर
देखा है जब भी उनको बड़ी सादगी मिली
कैसे कहें कि ताहिरे मिलल्त नही रहे
बेटों में उनके हमे वही रौशनी मिली
जिस पर निगाह पड़ते ही याद आता था खुदा
ताहिर मियां के चेहरे के वो दिलकशी मिली
साजिद शमीमी तुझको कोई जानता न था
जब आ गया यहां तो नई जिंदगी मिली
तुफैल शम्सी गाजीपुरी
खुदा ने आपको वख्शी वो अजमत ताहिरे मिल्लत
नबी से आपकी है खाश निस्वत ताहिरे मिल्लत
मुरीदों की निगाहें इसलिए बैचेन रहती है
तुम्हारे पास हो फिर से ज्यादा ताहिरे मिल्लत
तमामी अहले सुन्नत पर गमों का असमां टूटा
हुई जब आपकी दुनिया से रहलत ताहिरे मिल्लत
कारी शकील मीराई
फज्ले रब ताअला है वाहिदिया आंगन में
मुस्तफा का जलवा है वाहिदिया आंगन में
फैज़ मीर तययब का बटता है यहां हर दम
मंगता राजा बनता है वाहिदिया आंगन में
आल भी मुहम्मद के सुथरे बनके लेटे हैं
सययदों का मेला है वाहिदिया आंगन में
ये हैं ताहिरे मिल्लत इनका हर सू शोहरा है
क्या हसी नजारा है वाहिदिया आंगन में
ये शकील मीराई लखनवी भी है हाजिर
मनकबत जो पढ़ता है वाहिदिया आंगन में
सईद अख्तर
मेरा तन वाहिदी मेरा मन वाहिदी रूह को जो मिला वो वदन वाहिदी
इनके रौशन जमाने के अहवाल हैं इसमें बैठे हुये कुत्बो अब्दाल हैं
कितनी पाकीजा अन्जुमन वाहिदी मेरा तन वाहिदी मेरा मन वाहिदी
रहमते उस पे अल्लाह बरसायेगा गुलशनों की तरह घर महक जायेगा
बनके आये जो घर में दुल्हन वाहिदी मेरा तन वाहिदी मेरा मन वाहिदी
दौस पर वो हवाओ के चलते रहे नज्दीयत के सरों को कुचलतेे रहे
जिन चरागों से निकली किरन वादिही मेरा तन वाहिदी मेरा मन वाहिदी
ताहिरी माह पारे हैं सययद सुहैल देखिए कितने प्यारे हैं सययद सुहैल
ये बढ़ाते हैं मिशन वाहिदी मेरा तन वाहिदी मेरा मन वाहिदी
सुफियान वाहिदी
दरगाहे बिलग्राम के रूहेरवा चले
अफसोस हमको छोड़ के ताहिर मियां चले
निस्वत तो देखो माहे मुहर्रम की सात को
चरखे हुसैनियत के वो महरे अयां चले
वो नरम नरम लहजा वो गुलसाज गुफतगू
रोते है जान व दिल कि वो सीरी जवां चले
बेचैन है तमाम व मुहिव्वान खानकाह
हर आँख ढूंढती है कि हजरत कहां चले
अक्श व जमाल वाहिद व तययब थी जिनकी जात
बागे शरफ वो गुले आली निशां चले
तुफैल शम्शी गाजीपुरी
मरहबा मरहबा मेरे लब पर आज नगमा है ताहिर मियां का
क्यों न खुशियां मनाये दिवाने उर्स आया है ताहिर मियां का
उनके नाना रसूले खुदा है और दादा अली मुर्तजा है
जिक्र कुरआं में आया है जिसका वो घराना है ताहिर मियां का
लाई हमको यहां आज किस्मत लिख गये हैं रजा जिसको जन्नत
देखिए बागे जन्नत के अन्दर आस्ताना है ताहिर मियां का
मीर सययद सुहैल और रिजवां चाहे सययद सईद को देखो
तीनों शहजादों में साफ अक्श मिलता है ताहिर मियां का
शाने आलम मसूदी बहराइची
तेरे चश्मे इनायती की बदौलत ताहिरे मिल्लत
मुझे हासिल हुई तौकीर व इज्जत ताहिरे मिल्ल्त
मदीने के तसव्वुर से मेरे दिल में उजाला है
करम फरमाइये कर लूं जियारत ताहिरे मिल्लत
यहां पर ख्वाजा ए अजमेर फैजान बटता है
सजाये हैं यहां दरबार रहमत ताहिरे मिल्लत
तुम्हारा चाहने वाला यहां पर कल चला आया
तुम्हारी है ये इतयत न करामत ताहिरे मिल्लत
मुझे क्या चाहिए क्या मांगने आया हूं में दर पर
अयां है आप पर सारी हकीकत तािहरे मिल्लत
तुम्हारा दर न छोड़ेगें तुम्हारा दर न छोड़ेगें
हमे बचपन से तुमसे अकीदत ताहिरे मिल्लत
सुहैल मिल्लत व रिजवाने मिल्लत और सईद अख्तर
संभाले है तेरी इल्मी विरासत ताहिरे मिल्लत
तुम्हारा कोई भी हामी न होगा नजदियों सुन लो
करेंगें हश्र में मेरी हिमायत ताहिरे मिल्लत
तुम्हारे दर की निस्वत से यकीनन शाने आलम को
मिला है दामने ताजे शरीअत ताहिरे मिल्लत



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