व्यक्तित्व विकास (Personality
development)
नेतृत्व का गुण Leadership Quality
नेतृत्व किसी भी मानवीय क्रियाकलाप की सफलता के
लिए मूलभूत आवश्यकता है। नेतृत्व वह कला या प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति
किसी समूह के लोगों को लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करता है। नेतृत्व के
लिए व्यक्ति में ऊर्जा, लोगों को समझने और उन्हें
प्रोत्साहित करने की योग्यता, नेता के समान आगे बढ़कर
कार्य करने की योग्यता जैसे गुणों का होना आवश्यक है। साक्षात्कार में सफलता हेतु
प्रत्याशी में नेतृत्व सम्बन्धी निम्नलिखित गुण होने अनिवार्य हैं.
(I) समूह को प्रभावित करने की क्षमता Ability
to Influence on the Group- Personality development
जीवन में सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि
लोगों के विचारों को हम अपने अनुरूप किस सीमा तक परिवर्तित कर सकते हैं। लोगों के
व्यवहार की दिशा अपने अनुसार निश्चित करना एक कठिन चुनौती है, जिसका हम बहुधा अपने दैनिक जीवन में सामना करते
हैं। समूह के व्यवहार परिवर्तन की बात तो दूर, अपने परिवार के
ही किसी सदस्य के व्यवहार को अपने अनुसार परिवर्तित करना कठिन होता है। परन्तु एक
नेता में यह गुण होना चाहिए कि वह लोगों की सोच को सही दिशा में परिवर्तित कर सके।
वकील, राजनेता, उपदेशक इस कला
में निपुण होते हैं और वे सरलता से लोगों को अपने विचारों या दर्शन के प्रवाह में
बहा ले जाते हैं। गाँधीजी में लोगों के विचारों को अपने अनुरूप ढालने की चमत्कारिक
क्षमता थी। इसी कारण देशवासी उनकी एक आवाज पर उनके पीछे चल पड़ते थे।
(ii) पहल करने की योग्यता Ability to initiate
साक्षात्कार मण्डल प्रत्याशी की पहल करने की
योग्यता का आकलन करता है। वह निरीक्षण करता है कि प्रत्याशी में किसी कार्य को
अपनी ओर से प्रारम्भ करने की क्षमता है अथवा नहीं। प्रत्याशी नई-नई परिस्थितियों
में सामान्य रूप से कार्य करने के योग्य है अथवा नहीं। प्रायः व्यक्ति के जीवन में
अचानक ऐसी समस्याएँ आ खड़ी होती हैं, जिनसे न तो वह
पूर्व-परिचित होता है और न ही उसे उन समस्याओं से निपटने का अनुभव होता है। ऐसे
समय में यदि कोई व्यक्ति समस्या के समाधान हेतु स्वयं ही उपाय खोजकर
लक्ष्य-प्राप्ति हेतु कार्य प्रारम्भ कर देता है तो कहा जाता है कि उसमें पहल करने
की क्षमता है। इसके विपरीत जो व्यक्ति समस्या उत्पन्न होने पर दूसरों की सहायता की
प्रतीक्षा करता है, उसमें पहल करने की क्षमता
नहीं होती। जिन लोगों में पहल करने की उच्च क्षमता होती है, वे नया व उपयुक्त कदम उठाकर किसी समस्या अथवा
कठिन परिस्थिति का सफलतापूर्वक सामना कर लेते हैं। पहल की योग्यता एक अर्जित गुण
है जो कि अनुकूल वातावरण में विकसित होता है। बाल्यकाल में इस प्रकार का वातावरण
उपलब्ध कराना माता-पिता और अध्यापकों का दायित्व होता है। वे बच्चों में पहल करने
की योग्यता की वृद्धि और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे इस योग्यता
को विकसित अथवा अवरुद्ध कर सकते हैं। किसी समस्या के आने पर बच्चों को सोच-विचार
करने का अवसर न देकर स्वयं उसकी निराकरण कर देना उसकी पहल की योग्यता के विकास को
अवरुद्ध करना है। बच्चों पर किसी कार्य को करने का स्वतन्त्र भार डालने से उनकी
पहल की योग्यता का विकास होता है प्रोत्साहन और प्रशंसा भी इस गुण के विकास में
सहायक हैं। प्रत्याशियों के लिए यह आवश्यक है कि वे झिझक का त्याग करके
दिन-प्रतिदिन के जीवन में प्रत्येक कार्य में पहल करने की आदत डालने का प्रयास
करें।
(ii) साहस Courage
साहस नेतृत्व का प्रमुख गुण है। साहसी व्यक्ति
ही किसी समूह का सफल नेतृत्व कर सकता है। जो व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थतियों से
घबराकर साहस खो देता है वह नेतृत्व नहीं कर सकता। साक्षात्कार मण्डल, प्रत्याशी में साहस का परीक्षण करने के प्रश्न
करके यह देखता है कि प्रतिकूल परिस्थिति से घबराकर प्रत्याशी कहीं साहस तो नहीं खो
देता। अतः यह आवश्यक है कि प्रत्याशी अपने अन्दर साहस को विकसित करें। विद्यालय
स्तर पर स्काउट-गाइड, एनसीसी, ट्रैक एण्ड फील्ड, पर्वतारोहण आदि द्वारा विद्यार्थियों में साहस
का गुण विकसित होता है। प्रत्याशी साहसिक कार्यों से सम्बन्धित कथाएँ पढ़ें, खेलकूद, पर्वतारोहण आदि
कार्यों में भाग लेने का प्रयास करें साक्षात्कारकर्ता के प्रश्न को ध्यानपूर्वक
सुनें। फिर सोचें, विचारों को क्रमबद्ध करें, तब उत्तर दें।
(iv) चातुर्य एवं अनुकूलता Tact and
Adaptability
परिस्थितियों के अनुसार दक्षतापूर्ण प्रबन्ध
करना एवं कुशलतापूर्वक कार्य करना चातुर्य कहलाता है। एक बुद्धिमान व्यक्ति कठिन
परिस्थितियों में भी अपनी चतुरता से सहज बना रहता है। वह सभी लोगों की भावनाओं का
सम्मान करता है और दक्षता के साथ अपने कार्य में संलग्न रहता है। वह सभी तरह के
स्वभाव वाले व्यक्तियों के साथ सरलता से कार्य कर लेता है। उसमें अन्य लोगों की
भावनाओं को समझने की योग्यता होती है। वह जानबूझकर किसी को ठेस नहीं पहुँचाता।
उसके सभी कार्यों से चतुराई झलकती है। साक्षात्कारकर्ता प्रत्याशी के चातुर्य का
आकलन भी करते हैं। जो प्रत्याशी साक्षात्कार मण्डल के सामने चातुर्य का प्रदर्शन
करते हैं, वे अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहते हैं। कुछ
लोग अपने दैनिक जीवन में कोई समस्या या बाधा आ जाने पर दुःखी हो उठते हैं, कुछ लोग अपनी योजना के असफल रहने पर सन्तुलन खो
देते हैं। कुछ पुरातनपन्थी और लकीर के फकीर होते हैं, उनके लिए किसी परिवर्तन को स्वीकार करना कठिन
होता है। इस प्रकार के लोगों में अनुकूलता’ जैसे गुण का अभाव होता है। अनुकूलता वास्तव में एक प्रकार की मानसिक योग्यता है जो
किसी व्यक्ति के दृष्टिकोण एवं वैचारिक प्रक्रिया पर निर्भर होती है। इसके रहते
व्यक्ति बदले हुए वातावरण के अनुसार स्वयं को शीघ्र ही ढाल लेता है। जिज्ञासु एवं
खुले विचारों वाला व्यक्ति कूपमण्डूक और साहसहीन व्यक्ति की अपेक्षा शीघ्र ही
स्वयं को नए वातावरण के अनुकूल बना लेता है। प्रत्याशियों को अपने विचारों को
लचीला रखना चाहिए और स्वयं को सभी प्रकार के वातावरण में ढाल लेने की सोच विकसित
करनी चाहिए।
(v) तनावपूर्ण स्थिति में शान्त रहना Remaining Cool Under Stressful Situation
यदि कोई व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों में
अपनी भावनाओं पर नियन्त्रण नहीं रख पाता तो वह अपनी क्षमताओं एवं योग्यताओं का
उचित उपयोग नहीं कर पाता। तनाव व्यक्ति के शरीर एवं मस्तिष्क को अनेक प्रकार से
प्रभावित करता है। यह शारीरिक क्षमता को कम करता है। विवेक और बुद्धि को कुंठित
करता है। यह अकारण भय, थकान, चिड़चिड़ापन, अलगाव, अवसाद और
भावनात्मक अस्थिरता उत्पन्न करता है। इन प्रतिकूलताओं से बचने के लिए शरीर व
मस्तिष्क का सन्तुलन बनाए रखना आवश्यक है। प्रत्याशियों तनाव के कारणों को खोजकर
उन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए और सदैव शान्त चित्त रहना चाहिए।
(vi) कर्त्तव्य एवं दायित्व बोध Sense of Duty and Responsibility
साधारण हो अथवा कठिन या जोखिमपूर्ण, उसे सदैव ही
कर्त्तव्य बोध की भावना से करना कर्तव्य बोध से तात्पर्य सौंपे गए कार्यों का
ईमानदारी एवं स्थिरचित्त से करने से है। कार्य चाहे, चाहिए। कार्य के प्रति
निष्ठा एवं ईमानदारी का भाव व्यक्ति में उपस्थित कर्तव्य बोध पर निर्भर करता है, जिस व्यक्ति में
कर्त्तव्य बोध होता है, वह ईमानदारी से कार्य करता है। दायित्व बोध
नेतृत्व का सामान्य गुण है और यह उससे गहनता से जुड़ा है। कर्तव्य एवं दायित्व बोध
के सन्दर्भ में व्यक्ति के अन्दर कुछ गुणो का होना आवश्यक है; जैसे- कर्तव्य के
महत्त्व की गहन समझ, सामाजिक नियमो एवं व्यवहार की समझ, मानवीय भावनाओं
की समझ, क्रिया एवं प्रतिक्रिया की समझ इत्यादि। कर्त्तव्य एवं
दायित्व बोध मनुष्य के प्रमुख चारित्रिक गुण हैं। सफल नेतृत्व के लिए चरित्र में
इन दोनों का होना आवश्यक है। नैतिक शिक्षा सम्बन्धी एवं महान् व्यक्तियों से
सम्बन्धित साहित्य, नागरिकशास्त्र आदि का अध्ययन करने से कर्तव्य
एवं दायित्व बोध का विकास होता है।
(vii) आत्मविश्वास Self
Confidence
आत्मविश्वास को ‘सफलता की कुञ्जी’ कहा जाता है।
आत्मविश्वास के बल पर व्यक्ति कठिन-से-कठिन परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना सकता
है। आत्मविश्वास व्यक्तित्व निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह
व्यक्तित्व के अन्य गुणों के साथ मिलकर आपके प्रदर्शन को प्रभावशाली बनाता है। जब
आप अपने अन्दर इस गुण का विकास कर लेते हैं तो आप स्वयं पर अधिक विश्वास करने लगते
हैं, आपके अन्दर आत्म-स्वीकृति का भाव उत्पन्न होता है और आप
अपनी सफलता के प्रति विश्वास से भर जाते हैं। आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे सरल
तरीका महान् व्यक्तियों; जैसे-महात्मा गाँधी, सुभाषचन्द्र बोस
जैसे लोगों की जीवनियाँ पढ़नी चाहिए। स्वेट मार्डन की पुस्तकें जैसे-सफलता की
कुञ्जी आदि का अध्ययन भी उपयोगी है। जब आप आत्मविश्वास से भर जाते हैं तो आपके
अन्दर उपस्थित भय, आशंका, आत्महीनता जैसे नकारात्मक
तत्त्व समाप्त हो जाते हैं और आप स्वयं को क्षमतावान व समर्थ अनुभव करने लगते हैं।
जिस व्यक्ति में अपनी शक्तियों को पहचान कर उनके उचित उपयोग की समझ उत्पन्न हो
जाती है, वह अपने प्रत्येक कार्य में उनका उपयोग कर सकता है।
Personality Development
Quality of
leadership Leadership Quality
Leadership is a basic requirement for the success of any
human activity. Leadership is the art or process by which a person inspires a
group of people to move towards a goal. For leadership, it is necessary for a
person to have qualities like energy, ability to understand and motivate
people, ability to act like a leader from the front. For success in the
interview, it is mandatory for the candidate to have the following leadership
qualities.
(I) Ability
to Influence on the Group- Personality development
Success in life depends on the extent to which we can change
the thoughts of people according to our own. Determining the direction of
people's behavior is a difficult challenge that we often face in our daily
lives. Far from changing the behavior of a group, it is difficult to change the
behavior of a member of your own family accordingly. But a leader should have
this quality that he can change the thinking of the people in the right
direction. Lawyers, Politicians, Preachers are expert in this art and they
easily take people in the flow of their thoughts or philosophy. Gandhiji had a
miraculous ability to mold people's thoughts according to his own. For this
reason, the countrymen used to follow him on one of his voices.
(ii) Ability
to initiate
The interview board assesses the ability of the candidate to
take initiative. He examines whether the candidate has the capacity to
undertake any work on his own behalf or not. Whether the candidate is able to
work normally in new circumstances or not. Often such problems suddenly arise in
a person's life, with which neither he is pre-acquainted nor does he have the
experience to deal with those problems. In such a time, if a person starts
working to achieve the goal by finding a solution to the problem on his own,
then it is said that he has the ability to take initiative. On the contrary, a
person who waits for help from others when a problem arises, does not have the
ability to take initiative. People who have high initiative ability, they
successfully face any problem or difficult situation by taking new and
appropriate steps. Initiative is an acquired quality that develops in a
conducive environment. It is the responsibility of parents and teachers to
provide this type of environment during childhood. They play an important role
in the growth and development of initiative in children. They can develop or
inhibit this ability. When a problem comes to the children, without giving them
the opportunity to think and solve it themselves, it is to block the
development of the ability of their initiative. By giving children the
independent burden of doing any work, their ability to take initiative is
developed. Encouragement and praise are also helpful in the development of this
quality. It is necessary for the candidates to shed hesitation and try to
inculcate the habit of taking initiative in every work in day to day life.
(ii) Courage
Courage is the main quality of leadership. Only a courageous
person can lead a group successfully. A person who loses courage in the face of
adversity cannot lead. The interview board, by asking questions to test the
courage of the candidate, sees whether the candidate does not lose his courage
due to fear of adverse situation. Therefore it is necessary that the candidates
develop courage within themselves. Scout-guide, NCC, track and field,
mountaineering etc. develop the quality of courage in the students at the
school level. Candidates read stories related to adventure, try to participate
in sports, mountaineering etc. Listen carefully to the questions of the interviewer.
Then think, organize your thoughts, then answer.
(iv) Tact
and Adaptability
Managing efficiently according to the circumstances and
working efficiently is called tact. An intelligent person remains comfortable
with his cleverness even in difficult situations. He respects the sentiments of
all people and engages in his work with efficiency. He works easily with people
of all temperaments. He has the ability to understand the feelings of other
people. He doesn't intentionally hurt anyone. Cleverness is reflected in all
his actions. Interviewers also assess the tact of the candidate. Those
candidates who show tact in front of the interview board, they are successful
in leaving their impact. Some people get upset when there is any problem or
obstacle in their daily life, some people lose balance when their plan fails.
Some are conservative and rigid, it is difficult for them to accept any change.
Such people lack the quality of 'adaptability'.
Adaptability is actually a type of mental ability that
depends on a person's attitude and thought process. Due to this, the person
quickly adapts himself according to the changed environment. An inquisitive and
open-minded person adapts himself to the new environment sooner than a
cold-blooded and lackadaisical person. Candidates should keep their thoughts
flexible and develop the mindset to adapt themselves to all kinds of
environment.
(v)
Remaining cool under stressful situation
If a person is unable to control his emotions in adverse
circumstances, then he cannot make proper use of his capabilities and abilities.
Stress affects a person's body and mind in many ways. It reduces physical
capacity. Frustrates the conscience and intelligence. It produces causeless
fear, fatigue, irritability, isolation, depression and emotional instability.
To avoid these adversities, it is necessary to maintain the balance of body and
mind. Candidates should find out the causes of stress and try to remove them
and should always remain calm.
(vi) Sense
of Duty and Responsibility
Be it simple or difficult or risky, always do it with a sense
of duty. Sense of duty means doing the assigned tasks with honesty and
stability. Want work, need it. The sense of loyalty and honesty towards work
depends on the sense of duty present in the person, the person who has sense of
duty, works honestly. A sense of responsibility is a general quality of
leadership and is closely related to it. In the context of sense of duty and
responsibility, it is necessary to have some qualities inside the person; Like-
deep understanding of the importance of duty, understanding of social rules and
behavior, understanding of human emotions, understanding of action and reaction
etc. The sense of duty and responsibility are the main character traits of a
human being. Both of these are necessary in the character for successful
leadership. The sense of duty and responsibility is developed by studying the
literature related to moral education and great persons, civics etc.
(vii) Self
Confidence
Self-confidence is said to be the 'key to success'. On the
strength of self-confidence, a person can make difficult-to-difficult
situations favourable to him. Self-confidence plays an important role in
personality building. This combined with other personality traits makes your
performance impressive. When you develop this quality in yourself, you start
believing in yourself more, you develop a sense of self-acceptance and you are
filled with faith in your success. The easiest way to increase confidence is great
people; For example, biographies of people like Mahatma Gandhi, Subhash Chandra
Bose should be read. Studying Swet Marden's books such as The Key to Success
etc. is also useful. When you are filled with self-confidence, negative
elements like fear, apprehension, selflessness within you end and you start
feeling capable and capable. The person who recognizes his powers and
understands their proper use, can use them in each of his work.