दहेज़ से पीड़ित महिलाओं को आर्थिक सहायता योजना
(राज्यांश 100 प्रतिशत)
दहेज से पीडित महिलाओं को जिनके भरण-पोषण हेतु कोई आय का श्रोत न हो उन्हे मुकदमें की पैरवी हेतु 2500/- रू0 की एक मुश्तन सहायता दिये जाने का प्राविधान है एवं जब तक मुकदमा चलेगा तब तक 125/- प्रतिमाह की दर से दिया जाता है।
दहेज़ से पीड़ित महिलाओं को जो राजकीय संस्था की संवासिनी न हो, किसी अन्य विभाग से सहायता न प्राप्त कर रही हो, थाने में उत्पीड़न की प्राथमिकी
दर्ज करा चुकी हो अथवा न्यायलय में जिनका वाद विचाराधीन हो तथा गरीबी रेखा से नीचे
जीवन यापन कर रहीं हो, को जिला परिवीक्षा अधिकारी जो
जिला दहेज़ प्रतिषेध अधिकारी भो नामित हैं, के कार्यालय में सहायता प्राप्त
करने हेतु आवेदन-पत्र दें होता है| जिलाधिकारी की स्वीकृति के
उपरांत पत्र उत्पीड़ित महिला को रू० 125/- प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी
जाती है| उक्त योजना का आवेदन पत्र कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है|
दहेज से पीडित महिलाओं को जिनके
भरण-पोषण हेतु कोई आय का श्रोत न हो उन्हे मुकदमें की पैरवी हेतु 2500/- रू0 की एक मुश्तन सहायता दिये जाने
का प्राविधान है एवं जब तक मुकदमा चलेगा तब तक 125/- प्रतिमाह की दर से दिया जाता
है।
पात्रता की शर्तें/आवश्यक दस्तावेज
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धारा 498/ I
·
केस की छायाप्रति
·
एफ0आई0आर0 की
छायाप्रति
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तहसील द्रारा प्रदत्त आय प्रूमाण पत्र की कापी
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निवास प्रमाण-पत्र
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आधारकार्ड की छायाप्रति
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शासकीय संस्था में संवासिनी न हो
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शासन के अन्य विभाग से किसी प्रकार की सहायता न प्राप्त कर रही हो
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गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही हो
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भारत का नागरिक हो एवं उत्तर प्रदेश में किसी जिले का निवासी हो
·
सहायता हेतु प्राप्त आवेदन पत्र का परीक्षण सम्बन्धित जॉच के उपरान्त जिला
दहेज प्रतिषेध अधिकारी की संस्तुति पर जिलाधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जायेगा
लाभार्थी:
उत्तर प्रदेश के नागरिक
लाभ:
मौद्रिक सहायता
दहेज उत्पीड़न में कितने साल की
सजा है?
कानून
दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के
अनुसार दहेज लेने, देने या
इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000
रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
498 के तहत पति नहीं रखना चाहता तो क्या होगा?
क़ानून
क्या कहता है? भारतीय
दंड संहिता में धारा 498ए को 1983 में शामिल किया गया जब पत्नी के ख़िलाफ़ क्रूरता
और दहेज से जुड़ी कई मौतों के मामले सामने आए. इस कानून के अनुसार, अगर कोई पति या उसके रिश्तेदार, पत्नी को उत्पीड़न का निशाना
बनाते हैं तो उन्हें तीन साल की सज़ा हो सकती है.
(State share 100 percent)
There is a provision to give a lump sum assistance of Rs 2500/- to those
women suffering from dowry who do not have any source of income for their
maintenance, for the prosecution of the case and till the time the case
continues, it will be given at the rate of Rs 125/- per month. Is.
Women suffering from dowry who are not residents of a government
institution, are not receiving assistance from any other department, have filed
an FIR of harassment in the police station or whose case is pending in the
court and are living below the poverty line. To get assistance, one has to
submit an application to the office of the District Probation Officer who is
also designated as the District Dowry Prohibition Officer. After the approval
of the District Magistrate, financial assistance of Rs 125/- per month is given
to the harassed woman. The application form of the said scheme can be obtained
from the office.
There is a provision to give a lump sum assistance of Rs 2500/- to those
women suffering from dowry who do not have any source of income for their
maintenance, for the prosecution of the case and till the time the case
continues, it will be given at the rate of Rs 125/- per month. Is.
Eligibility Conditions/Required Documents
•
Section 498/I
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Photocopy of the case
•
Photocopy of FIR
•
Copy of income certificate provided by Tehsil
•
Address proof
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Photocopy of Aadhar Card
•
There should not be an inmate in a government institution
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Not receiving any kind of help from other departments of the government
•
Are living below the poverty line
•
Must be a citizen of India and resident of any district in Uttar Pradesh
•
The application form received for assistance will be approved by the
District Magistrate after the relevant investigation on the recommendation of
the District Dowry Prohibition Officer.
Beneficiary: citizens of Uttar Pradesh
Benefit: monetary assistance
How many
years is the punishment for dowry harassment?
According to the Dowry Prohibition Act, 1961, there is a provision of
imprisonment of 5 years and a fine of Rs 15,000 for taking, giving or aiding in
the transaction of dowry.
What if the
husband does not want to keep it under 498?
What does the law say? Section 498A was included in the Indian Penal Code
in 1983 after several cases of cruelty to wives and dowry-related deaths came
to light. According to this law, if a husband or his relatives harass his wife,
he can be sentenced to three years' imprisonment.
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