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त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद गांवों में छठवीं बार सरकार बनाने के लिए चुनाव हो चुके हैं।

 त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद गांवों में छठवीं बार सरकार बनाने के लिए चुनाव हो चुके हैं। 25 और 26 मई को शपथ ग्रहण के साथ तीसरी यानी गांव की सरकार काम करने लगेगी। गांव की सरकार में सबसे अहम भूमिका होती है ग्राम सभा की। लोकसभा और विधानसभा की तरह ग्राम सभा गांव की सरकार की विधायिका कही जाती है। ग्राम सभा के प्रत्येक सदस्य (गांव का वह वयस्क मतदाता जिसका नाम मतदाता सूची में है) की भूमिका ठीक वैसे ही होती है जैसी पहली यानी केंद्र सरकार में सांसद और दूसरी यानी राज्य सरकार में विधायक की होती है।


क्या है तीसरी सरकार

26 जनवरी 1950 को लागू संविधान में दो सरकारों (केंद्र और राज्य सरकार) की बात कही गई थी। 1992 में 73वें संविधान संशोधन के साथ एक और सरकार के गठन की व्यवस्था की गई। उत्तर प्रदेश में तीसरी सरकार के लिए 22 अप्रैल 1994 को त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था लागू की गई। यह तीन स्तर हैं जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत। 



निर्वाचित सदस्यों को वापस बुला सकती है ग्राम सभा

यूपी सहित 15 राज्यों में चल रहे तीसरी सरकार अभियान के संयोजक डॉ. चंद्रशेखर प्राण ने बताया कि ग्राम पंचायत ग्राम सभा का मंत्रिमंडल होता है। ग्राम सभा के दो तिहाई सदस्य चाहें तो चुने हुए पंचायत सदस्यों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें वापस बुला सकते हैं। ग्राम सभा की बैठक वर्ष में दो बार आवश्यक है। एक बैठक खरीफ की फसल कटने के तुरंत बाद तो दूसरी रबी की फसल कटने के बाद होती है। बैठक की सूचना 15 दिन पहले देना अनिवार्य है। बैठक में कुल सदस्यों के पांचवें भाग के बराबर सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होती है। ऐसा न होने पर कोरम पूरा नहीं माना जाता है। कोरम के अभाव में बैठक रद्द होने के बाद दूसरी बैठक के लिए कोरम की आवश्यकता नहीं होती है। बैठक की अध्यक्षता ग्राम प्रधान करते हैं। बैठक की कार्रवाई (मिनट्स) रजिस्टर में हिन्दी में लिखी जाती है। इसकी कॉपी सात दिन में एडीओ पंचायत को देना आवश्यक होता है।


इन मुद्दों पर चर्चा करती है ग्राम सभा

ग्राम सभा की बैठक में ग्राम पंचायत के खातों का वार्षिक विवरण देखा जाता है, पिछले वित्तीय वर्ष की प्रशासनिक और ऑडिट रिपोर्ट पर चर्चा होती है। पिछले और चालू वित्तीय वर्ष में होने वाले विकास कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है। प्रौढ़ शिक्षा, परिवार कल्याण, पर्यावरण सुधार और टीकाकरण पर भी चर्चा की जाती है

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