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हुज़ूर ताजुश्शरीआ अलैहिर्रहमा की जिन्दगी मुबारका

 हुज़ूर ताजुश्शरीआ अलैहिर्रहमा की जिन्दगी मुबारका


  🌸ताजुश्शरीआ अल्लामा मुहम्मद अख़्तर रज़ा अजहरी बरेलवी जानशीन-ए- मुफ्ती-ए-आजम मसनदे रुशद व हिदायत आस्ताना-ए-आलिया कादरिया बरकातिया रजविया सौदागिरान,बरेली शरीफ


✨उनकी पेशानी की चमक से जुलमतें दूर होती हैं जिस तरह तुलूअ आफताब से अंधेरा छुट जाता है!और उन की हैबत से लोगों की आँखें झुक जाती वह नर्म खु हैं,उनकी खसलतें पौशीदा नहीं हैं,खुश खल्की और खुश मिजाजी ने जीनत बख्शी है।


💫उनकी सिफात,सिफाते रसूलुल्लाह कि आइना दार हैं!उनकी आदतें व खसलतें बहुत खुब हैं!दोनों हाथ मुसला धार बारिश की तरह फैजे रसाँ हैं चाहे माल हो या न हो!वह इस मुकद्दस गिरोह के फर्द फरीद हैं जिन की


🗒️मोहब्बत दीन है और नका कुर्ब निजात देने वाला है।  विलादत जानशीन मुफ्ति-ए-आज़म अल्लामा मुफ्ती आलहाज अश्शाह मुहम्मद अख्तर रज़ा अज़हरी कादरी इब्ने मौलाना मुहम्मद इब्राहीम रज़ा जीलानी इब्ने हुज्जतुलइस्लाम मौलाना मुहम्मद हामिद रजा इब्ने आला हजरत इमाम अहमद रज़ा फाजिले बरेलवी25/फरवरी 1942 ई. को महल्ला सौदागिरान बरेली शरीफ में पैदा हुये।


(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,28,29)

📝खान्दानी पस मन्ज़र


⛺ताजुश्शरीआ का खान्दान अफगानिन्नसल और कबील-ए-बढ़ेच से तअल्लुक रखता है। मुरिस आला शहज़ादा सईदुल्लाह ख़ाँ कन्दहार हुकूमत अफगानिस्तान के वली अहद थे,खान्दानी इख्तिलाफ की वजह से कन्दहार को तर्क वतन कर लाहूर आये यहाँ पर गवर्नर ने आप शीश महल में आप के कियाम का इन्तिजाम किया और दरबार मुहम्मद शाह बादशाह देहली को इत्तिलाअ भेजवार दरबार से शाही मेहमान नवाजी का हुक्म सादिर हुआ 


📃फिर शहजादा सईदुल्लाह ख़ाँ ने देहली बादशाह मुहम्मद शाह से जा कर मुलाकात की,आप को बादशह ने फौज का जरन्ल बना दिया और आप के साथियों को भी फौज में अच्छी जगह मिल गई रूहैल खन्ड में कुछ बगावत के आसार नुमाया हुये तो बादशाह ने आप को रुहेलखन्ड की दारुस्सुलतनत बरेली भेज दिया ताकि वहाँ अमन व अमान काइम करें आप के साहबजादे सआदत यार खाँ दरबार देहली में वजीर-ए-मुम्लिकत थे,उनको कलैदी कलमदान मिला था उनकी अपनी अलाहिदा महर थी हाफिज काजिम अली खां के आहद में मुगलिया हुकूमत का जवाल शुरू हो गया हर तरफ बगावतों का शौर और आजादी व खुद मुख्तारी का जोर था आप अवध की कमान संभालने पहुंचे। आप के फरजन्द मौलाना शाह रजा अली खाँ बरेली जिन्होंने 1857 ई में अहम किरदार अदा किया। इंग्रेज ने उनका सर कलम करने के लिए पाँच हजार के इन्आम का एलान किया था। आप के दो फरज़न्द मौलाना मुफ्ती नकी अली खा कोलवी और दूसरे मौलाना हकीम तकी अली ख़ाँ बरेलवी तवल्लुद हुये, जिन्होंने दरजनों किताबें लिखे, मौलाना नकी अली खाँ बरेलवी के तीन फरजन्द तवल्लुद हुये। 1 आला हजरत इमाम अहमद रजा खाँ कादरी फाज़िले बरेलवी 2 मौलाना हसन रजा खाँ बरेलवी 3 मौलाना मुफ्ती मुहम्मद रजा खाँ बरेलवी।

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