दावत क़ुबूल करना सुन्नत है!
🌹हदीस 📜: हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर [रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा] से रिवायत है। कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया जब तुम मे से किसी को वलीमा खाने के लिए बुलाया जाए तो वह जरूर जाए"
(📚बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, सफा नं 87, मोता इमाम मालिक, जिल्द नं 2, सफा नं 434,📚)
🌹हदीस📜: _हजरत अबु हुरैरा रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है के
रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया.जो दावत कुबूल करके न जाए उसने अल्लाह तआला और रसुल की नाफरमानी की"!_*
🌹हदीस📜: हजरत हमीद बिन अब्दुर्रहमान हुमारी रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है के रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया.जब दो शख्स दावत देने एक वक्त आए, ते जिसका घर तुम्हारे घर से करीब हो उसकी दावत कबुल करो, और अगरलअक पहले आया तो जो पहले आया उसकी दावत कबुल करो "!
[📚इमाम अहमद, अबु दाऊद शरीफ जिल्द नं 3, बाब नं 136, हदिस नं 357 सफा नं 134📚]
🌹बगैर दावत जाना🌹
_💫दावत में बगै़र बुलाए नही जाना चाहिए। आज कल आम तौर पर कई लोग दावतों में बिन बुलाए ही चले जाते है और उन्हें न शर्म ही आती है न ही अपनी इज़्ज़त का कुछ ख़्याल होता है गोया मान न मान मै तेरा मेहमान"_
🌹हदीस📜 : सरकारे मदीना ﷺ ने इरशाद फ़रमाया.दावत में जाओ जब के बुलाए जाओ"! और फरमाया.जो बग़ैर बुलाए दावत में गया वोह चोर होकर दाखील हुआ और गैरतगीरी कर के लुटेरे की सूरत में बाहर निकला! (यानी गुनाहो को साथ लेकर निकला)*
(📚अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 127, हदीस नं 342, सफा नं 130,📚)
(📚करीना ए जिंदगी पेज न. 75,76📚)
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