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एक बडी गलत फहमी🚫

 एक बडी गलत फहमी🚫


💫फिक़ह की मशहूर किताब "तन्वीरूल अब्सार" मे है!जिस का पर्दा-ए-इस्मत कूदने हैज़ आने या ज़ख़्म या उमर ज़्यादा होने की वजह से फट जाए वह औरत हक़ीक़त में बकेरा  (कुंवारी पाक दामन) है"।_

 (📚तन्वीरूल अबसार, बाहवाला,फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 12, सफा नं 36,📚)

🌺सुहाग रात की बातें दोस्तों से कहना🌺



 💫कुछ लोग अपने दोस्तों को पहली रात (सुहाग रात) में बीवी के साथ की हुई बातें मज़े ले कर सुनाते हैं। दुल्हा अपने दोस्तों को बताता है और दुल्हन अपनी सहेलियों को बताती है! और सुनाने वाला और सुनने वाला इसे बडी दिलचस्पी के साथ मजे ले ले कर सुनते है! यह बहुत ही जाहिलाना तरीक़ा है भला इस से ज़्यादा बेशर्मी और बेहयाई की बात और क्या हो सकती है।_


 


🌹हदीस📜 :-जमाने जाहिलियत मे लोग अपने दोस्तों को और औरतें अपनी सहेलियों को रात में की हुई बातें और हरकतें बताया करते थे। चुनान्चे जब हुजुर ﷺ को इस बात की ख़बर हुई तो आप ने इसे सख़्त नापसन्द फ़रमाया और इरशाद फ़रमाया. जिस किसी ने सोहबत की बातें लोगों में बयान की उस की मिसाल ऐसी है जैसे शैतान औरत, शैतान मर्द से मिले और लोगों के सामने ही खुले आम सोहबत करने लगे"



 (📚अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 2, बाब नं 127, हदीस नं 407, सफा नं 155,📚)

 

(📚करीना ए जिंदगी पेज न. 72,73📚)



शियाओं से दोस्ती


आलाहज़रत अज़ीमुल बरकत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि "जो जिस क़ौम से दोस्ती करेगा उसका हश्र उसी के साथ होगा" फिर आलाहज़रत फरमाते हैं कि एक शख़्स राफ्ज़ी यानि शियों के पास बैठा करता था,जब उसकी नज़अ का वक़्त आया और लोगों ने उसको कल्मे की तलक़ीन की तो कहने लगा कि ये 2 फरिश्ते तलवार लेकर खड़े हैं और कहते हैं कि तू उनके पास बैठा करता था जो अबू बक्र व उमर रिज़वानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन को बुरा कहते थे अब तू चाहता है कि कल्मा पढ़कर रुखसत हो हम तुझे हरगिज़ कल्मा न पढ़ने देंगे,ज़रा सोचिये कि जब एक सुन्नी का ये आलम है कि अगर बद मज़हबों के पास उठेगा बैठेगा तो उसे कल्मे की तौफीक़ न होगी तो खुद उन बद मज़हबो का क्या हाल होगा लिहाज़ा मुसलमानों हर क़िस्म के बद मज़हबो से यानि वहाबी देवबंदी क़ादियानी खारजी राफ्ज़ी अहले हदीस जमाअते इस्लामी व जितने भी हों सब से दूर रहें वरना उनसे मेल-जोल आपकी आखिरत बर्बाद कर देगा


📕 अलमलफूज़,हिस्सा 2,सफह 80



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